शहीद सम्मान समारोह: वीरगाथाओं को नमन, मुख्यमंत्री धामी ने की महत्वपूर्ण घोषणाएँ
अमर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि: लैंसडाउन में भव्य शहीद सम्मान समारोह संपन्न
वीरों के पराक्रम को नमन, लैंसडाउन की धरती बनी देशभक्ति की गवाह
मुख्यमंत्री धामी बोले – सैन्य धाम अमर आत्माओं का प्रतीक, आने वाली पीढ़ियों को करेगा प्रेरित लैंसडाउन की पावन धरती पर शहीदों की अमर वीरगाथाओं और उनके सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए शहीद सम्मान समारोह बड़े हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लैंसडाउन पहुंचकर सबसे पहले अमर शहीद गब्बर सिंह नेगी मेमोरियल स्मारक पहुंचकर शहीद के प्रतिमा पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने शहीद की वीरता और बलिदान को नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर गब्बर सिंह नेगी जैसे अमर सपूतों के कारण ही देश आज सुरक्षित है। उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी को राष्ट्रसेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
समारोह का शुभारंभ गणमान्य अतिथियों के स्वागत एवं आगमन के साथ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्थानीय विधायक दिलीप सिंह रावत ने वीर सपूतों के पराक्रम और बलिदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान शहीद सम्मान यात्रा की झलकियों पर आधारित विशेष वीडियो क्लिप भी प्रदर्शित की गयी, जिसने उपस्थित जनसमूह को शहीदों के गौरवशाली इतिहास और योगदान से अवगत कराया।
इसके उपरांत मुख्यमंत्री ने विभिन्न जनपदों के शहीदों के आंगन की पवित्र मिट्टी से भरे ताम्र कलशों के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर वीर शहीदों की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने एक मिनट का मौन रखकर शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। गौरतलब है कि इन ताम्र कलशों में एकत्रित शहीदों के आंगन की पावन माटी को देहरादून में बन रहे भव्य सैन्य धाम में ले जाया जाएगा। इस दौरान सेना की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गढ़वाल रेजीमेंट का रेजिमेंटल गीत स्मृति स्वरूप भेंट किया गया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर शहीदों को नमन करते हुए वीर नारियों, परिजनों और माताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सैन्य धाम केवल ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं बल्कि अमर आत्माओं का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि शहीदों के आंगन की पावन मिट्टी वहां लायी जा रही है, यह कार्यक्रम मात्र औपचारिकता नहीं बल्कि उन वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 सितंबर से 04 अक्टूबर तक चली शहीद सम्मान यात्रा 2.0 शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि व उनके परिजनों के आंसुओं का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यह निर्माणाधीन सैन्य धाम आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए प्रेरित करता रहेगा। यह उन शहीदों के लिए हमारी श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारे भविष्य के लिए अपना वर्तमान बलिदान किया तथा जिसके कारण हम चैन की नींद सोते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लगभग हर घर का कोई न कोई सदस्य सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़ा है। राज्य सरकार सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को रूपए 50 लाख से बढ़ाकर रुपए 1 करोड़ किया गया है। शहीद के अंतिम संस्कार हेतु 10 हजार की सहायता राशि दी जाती है। सैनिकों को भूमि खरीद पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी के रूप में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि शहीदों के परिजनों को सरकारी सेवा में संयोजन के तहत 28 परिजनों को नियुक्ति प्रदान की जा चुकी है तथा 13 मामलों की प्रक्रिया प्रचलित है। पूर्व में आवेदन हेतु 02 वर्ष का समय सीमा थी, जिसे बढ़ाकर 05 वर्ष कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन, आधुनिक उपकरण, जैकेट एवं जूते जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में निर्यात में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है और दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। उन्होंने आह्वान किया कि जैसे पहले “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान चला था, वैसे ही अब “एक पेड़ शहीदों के नाम” अभियान भी चलाया जाएगा।
वाइट — मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी
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