स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौतों को कफ सिरप से जोड़ने वाली खबरों पर स्पष्टीकरण जारी किया है।
मंत्रालय ने साफ किया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम ने घटनास्थल का दौरा किया था। राज्य के अधिकारियों के साथ कफ सिरप के सैंपल लेकर इनकी जांच की गई। सैंपल में घातक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी नहीं पाई गई है।
बच्चे को निगरानी में रखें: स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डीजीएचएस ने एडवाइजरी में कहा कि आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को यदि कफ सिरप दिया जाना है तो उनका उपयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। यानी जिस बच्चे को दवा दी जा रही है उसे कड़ी निगरानी में रखा जाए, उसे उचित खुराक दी जाए। कम से कम समय के लिए दवा दी जाए। कई दवाओं के साथ कफ सिरप नही दिया जाए।
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