नैनीताल का युवक 12 जंजीर डालकर पहुँचा खाटू श्याम मन्दिर

ख़बर शेयर करें

विश्व प्रसिद्ध बाबा खाटूश्याम को हारे का सहारा कहा जाता है. भक्तों की मान्यताओं के अनुसार अगर बाबा श्याम के दरबार में आकर कोई भक्त मनौती मांगता है तो वह पूरी हो जाती है. इसी क्रम में एक अनूठा श्याम भक्त अपने आप को जंजीरों से बांधकर खाटूश्याम जी मंदिर में पहुंचा. इस भक्त ने दूसरी बार यह कठिन पदयात्रा की है. इस अनोखे श्याम भक्त का नाम केशव सक्सेना है, यह उत्तरखंड का रहने वाला है. केशव इससे पहले अप्रैल महीने में अपने हाथ पैरों को जंजीरों से बांधकर खाटूश्याम जी आ चुका है. इस बार उसने हाथ-पैर के अलावा कमर को 10 किलो वजनी 12 लोहे की जंजीरों को बांधकर बाबा श्याम की पदयात्रा पूरी की है.

यह भी पढ़ें 👉  भवाली में कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल का जन्मदिन मनाया

12 साल से लगातार खाटूश्याम जी आ रहा केशव :बाबा श्याम के दर्शन करने के बाद केशव ने बताया कि वह पिछले 12 साल से लगातार खाटूश्याम जी आ रहा है. वह 9 साल की उम्र में पहली बार खाटूश्याम जी आया था. इसके बाद केशव बाबा श्याम का दीवाना यूं हुआ कि जब मन करता है तब बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंच जाता है. केशव ने बताया कि एक बार उसके पास खाटूश्याम जी आने के पैसे नहीं थे, तब उसने घर से साइकिल उठाई और बिना किसी को बताए खाली जेब लेकर खाटूश्याम जी के लिए चल दिया. इसके बाद अब लगातार दो बार से खुद को जंजीरों में जकड़ कर बाबा श्याम की पदयात्रा कर आ रहा है. केशव ने बातचीत में बताया कि वह खाटूश्यामजी को खुश करना चाहता है, उनका आशिर्वाद चाहता है. साथ ही उन्होंने मोदी सरकार से देश में मांसाहार बंद करने की अपील भी की है. घंटे में पूरी की 18 किलोमीटर की यात्रा :केशव सक्सेना ने बताया कि सोमवार को ट्रेन से वह नैनीताल से रवाना हुआ था. मंगलवार को दोपहर 1 बजे रींगस प्राचीन श्याम मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद खुद को 12 जंजीरों से जकड़ कर यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद बुधवार को करीब 4 बजे के आसपास केशव खाटूश्याम जी मंदिर पहुंचा. बता दें कि रींगस से खाटूश्याम जी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर के आसपास है. यह दूरी तय करने में उसे करीब 27 घंटे का समय लगा है. दर्शन के बाद केशव ने खुद को अब जंजीरों से मुक्त कर लिया है. उसने बताया कि बाबा श्याम को प्रसन्न करने के लिए ‘मैने यह यह यात्रा की है’.
9 साल की उम्र में माता-पिता ने छोड़ दिया था :केशव उत्तराखंड का रहने वाला है. उसने बताया कि 9 साल की उम्र में उसके माता और पिता ने अलग-अलग शादी कर ली. दोनों ने उसे बेसहारा छोड़ दिया. इसके बाद केशव ने बाबा का हाथ थामा. उसने बताया कि बाबा की कृपा से अब वो अच्छा खासा कमाता है. जब भी उसका मन करता है तब खाटूश्याम जी आ जाता है. केशव अभी नैनीताल के पास स्थित एक छोटे से कस्बे में पानी की बोतल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता है।

Join WhatsApp Group

You cannot copy content of this page