उत्तराखंड में निकाय चुनावों का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक दलों ने आरक्षण के हिसाब से मजबूत दावेदारों की तलाश शुरू कर दी है। शासन स्तर पर जिस तेजी से तैयारियों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है, उस हिसाब से निकाय चुनाव अगले साल जनवरी माह के मध्य में हो सकते हैं। आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी होने के साथ ही राजनीतिक दल अब अपने-अपने हिसाब से आपत्तियां और दावे पेश करेंगे। वहीं, वर्तमान समीकरणों के हिसाब से भी प्रत्येक सीट पर दमखम रखने वाले प्रत्याशियों की भी तलाश शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ दल भाजपा रणनीतिक रूप से काफी कुछ तय कर चुकी है। पार्टी 11 नगर निगम समेत नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में बड़ी जीत हासिल करने के लक्ष्य के साथ तैयारियों में जुटी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कई सीटों पर प्रत्याशियों का खाका तैयार कर लिया गया है। दो दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली में भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और सांसदों के साथ निकाय चुनावों पर रणनीतिक रूप से मंथन कर चुके हैं।
वहीं, कांग्रेस धीमी गति से आगे बढ़ती दिख रही है। पार्टी के भीतर तैयारियों को लेकर चर्चा तो है, लेकिन ग्राउंड पर अभी उतनी हलचल दिखाई नहीं दे रही है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से निकाय चुनावों को लेकर जिलों पर प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनसे आशा की गई थी कि वह अपनी रिपोर्ट 15 दिसंबर से पहले पीसीसी को सौंप देंगे। लेकिन अभी तक प्रभारियों की रिपोर्ट ही प्राप्त नहीं हुई है। जबकि इसके बाद स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया जाना है, जो अंतिम रूप से प्रत्याशियों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वहीं बसपा, यूकेडी और आम आदमी पार्टी भी परिस्थतियों को देखते हुए अपनी तैयारी में जुटी हैं। यूकेडी ने पूरे प्रदेश में मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का एलान किया है तो बसपा और आप मैदानी इलाकों में फोकस कर सकती है।
26 दिसंबर तक कार्यक्रम घोषित होने की संभावना
निकायों में अध्यक्षों और वार्ड आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी होने के बाद 26 दिसंबर तक चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने की संभावना
कांग्रेस कुछ सीटों पर दर्ज करा सकती है आपत्ति
देहरादून। निकायों चुनावों के लिए अनंतिम आरक्षण जारी होने के बाद आपत्तियों और दावों के लिए एक सप्ताह का समय शेष है। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की मानें तो पार्टी कुछ सीटों पर आपत्तियों के साथ कोर्ट का भी रूख कर सकती है। रणनीतिक रूप से पार्टी नेताओं के बीच इन मुद्दों पर अभी चर्चा की जा रही है। इसके साथ ही पार्टी के जिला और महानगर अध्यक्षों से फीडबैक लिया जा रहा है। जिससे आगे की रणनीति बनाइर्द जा सके।
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