राज्य में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री बैन हो सकती है। प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन -एफडीए) ने इस संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी है।
पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने दवा को बनाने व बेचने के नियमों में बदलाव की कवायद शुरू की है। इसके लिए ड्रग एंड कॉस्मेटिक ऐक्ट में संशोधन किया जा रहा है। इसे केंद्र ने राज्यों से भी राय मांगी थी। इस पर उत्तराखंड की ओर से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी को नियंत्रित करने पर जोर दिया गया है। एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की तरह ही कई अन्य राज्यों ने भी दवा की ऑनलाइन बिक्री प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि दवाओं को लेकर केंद्र द्वारा तैयार किए जा रहे नए कानून में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकती है।
रिकॉर्ड की जांच कठिन: जानकारों का कहना है कि राज्यों की ओर से दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध की मांग इसलिए भी उठ रही है क्योंकि इसे नियंत्रित करना और इसका रिकॉर्ड रखना मुश्किल है। एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार, किस व्यक्ति ने किस स्टोर से कब, कितनी और कौन-कौन सी दवाएं ऑनलाइन मंगाईं, यह ब्योरा छिपाना आसान है। ऐसे में गड़बड़ी की आशंका बनी रहती है। इसे देखते हुए लंबे समय से इस व्यवस्था को प्रतिबंधित करने की मांग उठ रही है।
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