नेपाल की तरफ से कुछ लोगों ने भारत के धारचूला में तटबंध बना रहे श्रमिकों पर फिर से पथराव किया। जिसमें काम कर रहे श्रमिक किसी तरह जान बचाकर भागे। लगातार हो रही इस तरह की पत्थरबाजी की घटना से भारत के लिए आपदा काल से पहले काली नदी किनारे तटबंध बनाना कठिन हो गया है।
भारत काली नदी किनारे कटाव वाले क्षेत्र में तटबंध बनाने का काम कर रहा है। नगर से सटे गो सदन क्षेत्र में सोमवार की शाम को काम कर रहे श्रमिकों पर नेपाल की तरफ से फिर से पथराव किया गया। इस दौरान श्रमिक किसी तरह जान बचाकर भागे। नेपाल की तरफ से पिछले 50 दिनों में पथराव की यह 12वीं घटना है। इससे पहले नेपाल से किए गये पथराव में एक भारतीय श्रमिक व जेसीबी चालक को गंभीर चोटें आई थी। दो जेसीबी मशीनों को भी पथराव से नुकसान पहुंचा था। भारत नेपाल के अधिकारियों की संयुक्त बैठक व समाधान के भरोसे के बाद भी सोमवार को फिर से पथराव की घटना से सीमांत के लोगों में आक्रोश है। इधर तटबंध का काम कर रही एंजेंसी के लिए अब विरोध के बाद जुलाई से पहले तटबंध का निर्माण करना कठिन हो गया है। नगर के बड़े हिस्से को काली नदी के कटाव का खतरा बना हुआ है।
नेपाल ने अपने क्षेत्र में 5 किलोमीटर महाकाली कॉरीडोर के नाम से तटबंध निर्माण किया। जिस पर भारतीय लोगों ने कभी भी आपत्ति नहीं की । भारतीय क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से बनाए जा रहे तटबंद कार्य में नेपाल के लोग बाधा पहुंचा रहे हैं। जिसको लेकर भारतीय लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
नेपाल के अधिकारियों से निर्माण कार्य को लेकर वार्ता की गई है। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सहमति बनीं है। घटखोला में जल्द काम प्रारंभ होगा।
नेपाल के लोग मित्र राष्ट्र का धर्म भूल रहे हैं। भारत के अपनी सीमा पर हो रहे काम का विरोध गलत है। इस प्रकार के व्यवहार को भारतीय नागरिक किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
दोनों देशों के बीच प्रशासन स्तर पर वार्ता के बाद भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है। नेपाली क्षेत्र से पत्थरबाजी जारी है। ऐसे में धारचूला पूरा नगर खतरे की जद में है। लोगों को आपदा का डर सता रहा है।
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