करीब 25 साल का एक युवक जिसने अपने पिता को कभी देखा न हो और उसे ये बताया गया हो कि वह इस दुनिया में अब नही हैं। इस बीच एकाएक उसे अपने पिता सकुशल मिल जाएं तो वह क्षण उस बेटे के लिए क्या रहा होगा, यह कल्पना करना भी मुश्किल है। बलुवाकोट में चंद दिनों पहले एक ऐसा ही वाकया सामने आया। एक युवक पहली बार अपने पिता से मिला तो खुशी से उसकी आंखें छलक पड़ीं।
बलुवाकोट पय्यापौड़ी के निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य जीवन ठाकुर ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल के अयाल गांव निवासी प्रमोद नेगी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। दिसंबर 2000 में वह अचानक घर से कहीं चले गए। परिजनों के काफी खोजबीन के करने बाद भी उनका कहीं कोई सुराग नहीं लगा। परिजनों ने पुलिस में भी गुमशुदगी दर्ज कराई। वर्ष 2010 में परिजन उन्हें मृत मान चुके थे। इस बीच जीवन ठाकुर ने बीते दिनों उन्होंने प्रमोद नेगी को बलुवाकोट बाजार में भटकते देखा। उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी। जीवन ने उन्हें भोजन कराने के साथ ही स्वयं के संसाधनों से दवा भी उपलब्ध कराई। इस बीच उन्होंने नेगी से बातचीत कर उनके गांव, परिजनों के बारे में थोड़ी जानकारी जुटाने की कोशिश की लेकिन अयाल गांव के सिवाय वह कुछ नहीं बता पाए। बाद में जीवन ने पौड़ी जिले में अपने परिचित लोगों संपर्क किया और अयाल गांव के बारे में जानकारी की। एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे कई लोगों से बातचीत करने पर उनकी बात अयाल के ग्रामीणों से हो गई। तब वह प्रमोद के परिजनों तक पहुंच सके। बीती एक जनवरी को प्रमोद का बेटा, दो भतीजे और जीजा बलुवाकोट पहुंचे और प्रमोद नेगी को अपने साथ ले गए। जीवन बताते हैं कि वर्तमान में प्रमोद का इलाज देहरादून के एक अस्पताल में चल रहा है। इधर, परिजनों ने जीवन ठाकुर का आभार जताया है। कहा जीवन की मदद से ही प्रमोद दोबारा उनके जीवन में लौट आए हैं।
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