जिला पंचायतों में अध्यक्षों को प्रशासक बनाने और ग्राम पंचायतों की उपेक्षा पर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चो खोल दिया है। कांग्रेस सहित तमाम दूसरे दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार ने निचली ग्राम पंचायतों प्रतिनिधियों को छला है। उन्होंने कहा कि अब नगर पालिका, निगम और नगर पंचायतों के प्रतिनिधि भी यह मांग उठाने लगे हैं। यदि इस संबंध में वह कोई आंदोलन करते हैं तो विपक्षी दल उनके साथ खड़े हैं।
मीडिया को जारी बयान में पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि सरकार के इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। कहा कि सरकार ने ग्राम प्रधानों और क्षेत्र पंचायतों के अध्यक्ष को छला है। उधर, कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत ने कि सरकार का यह फैसला पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के पंचायतों के संबंध में किए गए संवैधानिक संशोधन की भावनाओं के विपरीत है और उत्तराखंड पंचायत राज एक्ट की धारा 102 क की गलत व्याख्या है। अगर यह मामला न्यायालय में गया तो सरकार को इस निर्णय पर मुंह की खानी पड़ेगी।
पूर्व सीएम रावत ने भी दिया समर्थन: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पंचायत प्रतिनिधियों की मांग का समर्थन किया है। सोशल मीडिया में एक पोस्ट साझा करते हुए हुए रावत ने मुख्यमंत्री धामी को संबोधित करते हुए कहा कि जब पंचायत व्यवस्था को चौपट ही करना है तो ग्राम प्रधानों और ब्लॉक प्रमुखों ने क्या बिगाड़ा है।
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