सामूहिक विवाह सादा शादियाँ एवं आध्यात्म का अनुपम दृश्य

ख़बर शेयर करें

सादा शादियाँ एवं आध्यात्म का अनुपम दृश्य

निरंकारी सामूहिक विवाह

हल्द्वानी, 21 नवम्बर, 2024:- संत निरंकारी मंडल के सचिव आदरणीय जोगिन्दर सुखीजा ने जानकारी देते हुए बताया कि समाज कल्याण विभाग की ओर से आज संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में निरंकारी सामूहिक सादा शादियों का एक ऐसा अनुपम दृश्य प्रदर्शित हुआ जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रद्रेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त दूर देशों जिनमें आस्ट्रेलिया, यू.एस.ए. इत्यादि प्रमुख है से शामिल हुए लगभग 96 नव युगल सत्गुरु माता जी एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता जी की पावन हजूरी में परिणय सूत्र में बंधे तथा अपने मंगलमयी जीवन की कामना हेतु पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर निरंकारी मिशन के अधिकारीगण, वर-वधू के माता-पिता, सगे-सम्बन्धी एवं मिशन के अनेक श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति रहीं। सभी ने इस दिव्य नजारे का भरपूर आनंद प्राप्त किया।

यह भी पढ़ें 👉  भवाली सामुदायिक स्वास्थ्य में कल लगेगा निशुल्क स्वास्थ्य शिविर, आप भी उठाएं लाभ

सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ। उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ मुख्य आकर्षण के रूप में निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदत्त थी। नव विवाहित युगलों पर सत्गुरु माता जी, निरंकारी राजपिता जी एवं वहां उपस्थित सभी जनों द्वारा पुष्प-वर्षा की गई और उनके कल्याणमयी जीवन हेतु भरपूर आशीर्वाद प्रदान किया गया।

यह भी पढ़ें 👉  भवाली में मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर हुई प्रतियोगिताएं

उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह पावन आयोजन अपनी सादगी बिखेरता हुआ जाति, धर्म, वर्ण, भाषा जैसी संकीर्ण विभिन्नताओं से ऊपर उठकर एकत्व का सुंदर स्वरूप प्रदर्शित करता है।

नव विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए सतगुरु माता जी ने फरमाया कि गृहस्थ जीवन के पवित्र बंधन में नर और नारी दोनों का ही समान स्थान होता है जिसमें कोई बड़ा अथवा छोटा नहीं अपितु दोनों की महत्ता बराबर की होती है। यह एक अच्छी सांझेदारी का उदाहरण है।

सतगुरु माता जी ने सांझे हार के प्रतीक का उदाहरण दिया कि जिस प्रकार सांझा हार एकता के भाव को दर्शाता है ठीक उसी प्रकार गृहस्थ जीवन में रहकर सभी रिश्तों को महत्व देते हुए, सबके प्रति आदर भाव अपनाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है। गृहस्थ जीवन के सभी कार्यों को करते हुए नित्य सेवा, सुमिरण एवं सत्संग के साथ इस निरंकार का आसरा लेकर सुखद जीवन जीना है। निःसंदेह हर प्रांत से आये हुए नव युगलों द्वारा दो परिवारों के मिलन का एक सुंदर स्वरूप आज यहां प्रदर्शित हुआ।

यह भी पढ़ें 👉  कुमाऊंनी शैली पर नजर आएगा काठगोदाम रेलवे स्टेशन= सांसद अजय भट्ट

अंत में सतगुरु माता जी ने सभी नव विवाहित जोड़ों के जीवन हेतु शुभ कामना करते हुए उन्हें आनंदमयी जीवन का आशीर्वाद दिया।

Join WhatsApp Group
Ad

You cannot copy content of this page