आग की लपटें देखकर अफरातफरी मच गई और यात्री खिड़कियों व दरवाजों से कूदते हुए जान बचाने लगे। लोग चीखते-चिल्लाते हुए हाथ जोड़कर गुहार लगाते रहे-बचा लो, बचा लो। यात्री अरविंद चौधरी ने बताया कि हम जैसलमेर से जोधपुर जा रहे थे। सब कुछ ठीक लग रहा था। मैं अपनी सीट पर सो रहा था, लेकिन अचानक कुछ जलने की तेज बदबू आई। लोग दरवाजा पीट रहे थे, लेकिन वह जाम हो चुका था। मैंने अपनी सीट के पास की खिड़की से झांका, धुआं इतना घना था कि कुछ दिख ही नहीं रहा था। किसी ने कहा-कूदो! वरना जल जाओगे। मैं जान बचाने के लिए खिड़की से कूद गया। पीछे से चीखें आ रही थीं… और मैं कुछ नहीं कर सका। वहीं एक चश्मदीद ने कहा कि हमने ऐसे मंजर सिर्फ फिल्मों में देखे थे, लेकिन आज वो हकीकत बन गया।
वहीं चश्मदीद जितेंद्र स्वामी ने बताया कि हम यहां से जा रहे थे हमने धुंआ उठते देखा तो नजदीक आए और हमने देखा कि काफी लोग बुरी तरह से जख्मी थे। वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हादसा कुछ ही मिनटों में घटा, लेकिन उसका खौफ अब भी इलाके में महसूस किया जा सकता है।
किसी ने खिड़की का शीशा तोड़ा तो कूदे: बाल-बाल बचीं 38 वर्षीय सुनीता देवी ने कहा कि मैं अपनी बहन के साथ पीछे की सीट पर बैठी थी। अचानक जलने की बदबू आई और कुछ ही पलों में धुआं भर गया। किसी ने चिल्लाया – आग लग गई है और सब अफरातफरी में उठ खड़े हुए। हम दरवाजे की तरफ दौड़े, लेकिन दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। किसी ने खिड़की का शीशा तोड़ा, वहीं से कूदे। मेरी बहन का पैर कट गया…, लेकिन हम जिंदा हैं, ये सबसे बड़ी बात है।

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