चोर्सा गाँव के बच्चे छः किमी पढ़ाई के लिए जाने को मजबूर

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  • चोर्सा गाँव के बच्चे छः किमी पढ़ाई के लिए जाने को मजबूर
  • 2018 की आपदा में क्षतिग्रस्त कार्य अबतक नही हुए

भवाली। उत्तराखंड 25 साल पूरा होने पर रजत जयंती मना रहा है। तो वही युवा उत्तराखंड में युवाओं के चलने को पक्के रास्ते तक नही है। सरकार पहाड़ो से पलायन रोकने व सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाने के दावे कर रही है। लेकिन इसके उलट बेतालघाट के चोर्सा गाँव में आजादी के बाद से अब तक सड़क, शिक्षा के लिए महरूम है।
ग्राम प्रधान किशोर सिंह ढेला ने बताया कि ग्राम पंचायत चोर्सा में 2018 की आपदा के बाद से क्षतिग्रस्त कार्य अब तक नही हो पाए है। गाँव में 430 परिवार रहते है। कहा कि श्मशान घाट का रास्ता बह गया था। आजादी के 80 साल बाद भी 6 किमी रातिघाट पैदल जाते है। ग्रामसभा में प्राथमिक विद्यालय, जूनियर हाईस्कूल है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए रातिघाट जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि दुनिखाल से रातिघाट तक 7 किमी सुधारीकरण की घोषणा की गई है। लेकिन अब तक मार्ग का सुधारीकरण नही हो पाया है। कहा कि संयुक्त खाते और कब्जे वाली जमीन बिकना ग्रामीणों के लिए समस्या बन गया है। जाख और चोर्सा को जोड़ने वाला पैदल 2017 की दैवीय आपदा में बह गया था। इसके अलावा अन्तर ग्रामीण मार्ग अब तक बन्द है। कहा कि पूर्व में आपदा से क्षतिग्रस्त कार्यो का अधिकारियों ने निरीक्षण किया, लेकिन अब तक कुछ नही हो पाया है। इसके अलावा सांसद निधि और विधायक निधि से नया चोर्सा में आज तक कोई कार्य नही हो पाया है। बच्चों के स्कूल जाने के लिए तक रास्ते नही है। झाड़ियों के बीच से जान जोखिम में डालकर विद्यालय जाने को मजबूर है।

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