श्री यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान का खुला उल्लंघन कर रही है। आज की तारीख में ग्रामीण विकास की महत्वपूर्ण इकाई ग्राम पंचायती शासक प्रशासक विहीन है । पंचायती व्यवस्था को लेकर प्रदेश में जो कुछ हो रहा है उसके लक्षण ठीक नहीं हैं। चुनाव नहीं होने से प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
श्री आर्य ने कहा कि विगत 27 मई से साढ़े सात हज़ार से ज़्यादा ग्राम पंचायतें, 95 क्षेत्र पंचायतें और 12 जिला पंचायतें लावारिश पड़ी है। ऐसा पहली बार हुआ है, न प्रशासक है और न निर्वाचित बोर्ड।राजभवन ने भी पंचायतीराज एक्ट में संशोधन विधेयक को वापस भेज दिया है। सरकार द्वारा पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन करके लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को 6 महीने पहले चुनाव की तैयारी कर लेनी चाहिए थी लेकिन कार्यकाल पूरा होने का समय आने पर भी अब तक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रही है। प्रत्येक 5 साल में अपना जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार आम मतदाता का है। ऐसे में बीजेपी सरकार अकारण विलंब करके उम्मीदवारों और वोटर्स के हक का गला घोट रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार इन संस्थाओं के अधिकारों को अर्थहीन कर रही है। सरकार पंचायती राज व्यवस्था की शक्तियां छीनने और ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर करने का काम कर रही है। पंचायत चुनाव कब होंगे.. कोई पता नहीं। लोकतंत्र में जन प्रतिनिधित्व की सबसे छोटी इकाई के चुनावों के लिए सरकार अक्षम दिख रही है।
श्री आर्य ने कहा कि भाजपा के शासन में जिस तरह पंचायती राज व्यवस्था में संविधान की अवहेलना एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था का दमन किया जा रहा है, उससे गांव की सरकार कभी सशक्त और सुदृढ़ नहीं हो सकती। ग्राम सभायें हमारी संस्कृति व समृद्धता की नींव है और इसके सशक्तीकरण का काम पंचायतीराज व्यवस्था के माध्यम से होता आया है लेकिन आज सरकार पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है जिसका हम मुखरता से विरोध करेंगे।
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