उत्तराखंड में पंचायत चुनाव कब होंगे, प्रशासकों का कार्यकाल किस व्यवस्था के तहत बढ़ाया जाए, इस विषय को चर्चा के लिए चार जून को होने वाली मंत्रीमडल की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट निर्णय के हिसाब से ही सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी।
शासन का कहना है कि पंचायतों संवैधानिक संकट जैसी कोई बात नहीं है, पंचायती राज एक्ट में दी गई व्यवस्था के तहत बोर्ड के भंग होने पर प्रशासनिक इकाई काम कर सकती हैं, जो कर रही हैं। बता दें कि हरिद्वार को छोड़कर अन्य 12 जिलों में पंचायत चुनाव वर्ष 2019 में हुए थे।
बीते वर्ष दिसंबर माह में पंचायतों को कार्यकाल खत्म होने के बाद शासन की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों को ही बतौर प्रशासक अगले छह माह तक के लिए नियुक्त कर दिया गया था। लेकिन अब इनका कार्यकाल भी समाप्त हो गया है।
इधर सचिव पंचायती राज चंद्रेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि पंचायतों में संवैधानिक संकट जैसी कोई बात नहीं है। कहा कि ऐक्ट में व्यवस्था है कि बोर्ड के भंग होने पर प्रशासनिक इकाई काम कर सकती हैं

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