जोशीमठ में भू-धंसाव की वजह से स्थानीय लोग अपने भविष्य को लेकर खासे चिंतित हैं। चिंता इस बात की है कि विस्थापन होता है तो नई जगह जीवनयापन का स्रोत क्या होगा? स्थानीय स्तर पर जो कारोबार हैं, वो जोशीमठ के धार्मिक और पर्यटन महत्व की वजह से ही हैं। नई जगह पर जोशीमठ का आधार नहीं मिल पाएगा। लोगों का कहना है कि यदि सरकार दूसरी जगह विस्थापित करती है तो वर्तमान संपत्ति का पूरा मुआवजा भी दे। न कि आपदा मानक के तहत।
होटल कारोबार से जुड़े रविंद्र शाह कहते हैं कि जोशीमठ एक शहरभर नहीं है, यह हजारों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। इसी की वजह से लोगों की पहचान भी है। उन्होंने कहा, भू-धंसाव की वजह से पैदा हुआ संकट वास्तव में चिंताजनक है। पहले राज्य सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि वो इस समस्या का जल्द स्थायी समाधान करे, जिससे किसी को भी यहां से जाने की जरूरत न पड़े। और, यदि संवेदनशील क्षेत्र के लोगों का विस्थापन जरूरी हो तो संपत्ति का पूरा मुआवजा मिले, जिससे दूसरी जगह स्थापित में होने पर समस्या नहीं आए। शाह की चिंता इसलिए भी जायज है कि जोशीमठ बद्रीनाथ मार्ग का सबसे अहम पड़ाव है। इस साल अप्रैल-मई में चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। ऐसे वक्त में यदि जोशीमठ में हालात दुरुस्त न हुए तो यात्रा सीजन प्रभावित हो सकता है।
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