परिवहन विभाग वाहनों के प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र को लेकर राज्य में अभियान चलाने जा रहा है। अभियान में अगर कोई वाहन चालक बिना प्रदूषण नियंत्रण जांच प्रमाणपत्र के वाहन चलाएगा चलाते मिला तो दस हजार रुपये तक जुर्माना या तीन महीने की जेल भी हो सकती है।
परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी के मुताबिक पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर अभियान चलाने के लिए टीमों का गठन किया जा रहा है। जल्द ही बिना प्रदूषण जांच के चलने वाले वाहनों के खिलाफ व्यापक पैमाने पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसकी कार्ययोजना बना ली गई है।
वाहनों से फैलते प्रदूषण पर परिवहन विभाग लंबे समय बाद हरकत में आ रहा है। केंद्र सरकार ने मोटर यान अधिनियम 1988 को संशोधित करते हुए वर्ष 2019 में यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए नए नियम लागू किए हैं। उस दौरान वाहनों में प्रदूषण को लेकर काफी सक्रियता देखी गई थी। हालांकि बाद में वाहनों के प्रदूषण जांच को लेकर ऐसी सख्ती नजर नहीं आई।
उत्तराखंड में वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्रों में भी बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आ चुका है। देहरादून और हल्द्वानी में कई ऐसे प्रदूषण जांच सेंटर पकड़े थे, जो गाड़ी की नंबर प्लेट का फोटो के आधार पर प्रमाणपत्र जारी कर रहे थे। हिन्दुस्तान में खुलासा होने पर परिवहन विभाग ने ऐसे कुछ सेंटरों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की थी।
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