पापाकुंशा एकादशी का जरूर पढ़ें महत्व, धार्मिक मान्यता

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हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा – अर्चना की जाती है। एकादशी व्रत के दिन व्रती को एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि व्रत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है ।
प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया रहता था । वह क्रूर स्वभाव का था । उसका सारा जीवन हिंसा , लूटपाट , मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में ही व्यतीत हुआ था । जब अंत समय में यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है । कल हम तुम्हें ले जाएंगे । यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा. बहेलिये ने ऋषिवर से कहा , मैंने सारा जीवन पाप कर्म करने में ही व्यतीत कर दिया । कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बता दीजिए , जिससे मेरे सारे के पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए । उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करके को कहा । महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया । जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए

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