नदियों और तालों में अक्सर हादसे होते रहते हैं। बरसात के दौरान सैर सपाटा करने जाने वाले लोग अधिक गहराई में जाने के चक्कर में जान गंवा बैठते हैं। जिले में इस साल झील, ताल, गधेरों और नदियों में डूबकर मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह चेतावनी बोर्ड या किसी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं होना है।
इस साल मार्च में भीमताल स्थित नल दमयंती ताल में नहाने गए दो युवक गहरे पानी में चले गए। ऐसे में उनकी वहीं डूबकर मौत हो गई। ताल के आसपास भी कोई चेतावनी बोर्ड नहीं लगा था। पुलिस की गश्त पर भी सवाल खड़े हुए थे। इधर, गुरुवार को भीमताल के ही मूसाताल में डूबकर जान गंवाने वाले दोनों युवकों को स्थानीय लोगों ने ताल में जाने से रोका था। लेकिन वे नहीं रुके। ग्रामीणों ने बताया कि ताल तक जाने वाले रास्ते में कहीं भी चेतावनी बोर्ड नहीं है। पुलिस गश्त तक नहीं करती है। यही हाल, नैनीताल की नैनीझील का भी है। यहां डांठ से मल्लीताल पंत पार्क और भोटिया मार्केट तक ताल के किनारे रेलिंग लगी हुई हैं, मगर ठंडी सड़क की ओर का हिस्सा काफी संवेदनशील है। हाल ही में एक किशोरी ने घर वालों की डांठ से नाराज होकर झील में कूदकर जान दे दी थी। इसी तरह झील से समय-समय पर शव मिलने की घटनाएं भी सामने आतीं रहती हैं।



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