विशेष:: भवाली में 105 साल से मनाया जा रहा नंदा सुनंदा महोत्सव

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-आजादी के 20 वर्ष बाद मेले ने लिया भव्य रूप

नीरज जोशी

भवाली। नगर में मां नंदा सुनंदा की पूजा अर्चना की शरुवात 1920 से लगभग 105 साल बताई गई है। आजादी के बीस वर्ष बाद 1967 में इसको भव्य रूप देने की पहल शुरू हुई। इससे पहले यह केवल टीन की छत में बना मंदिर था जहां नदाष्टमी व अन्य दिनों में पूजा अर्चना होती थी। नगर में देवी मंदिर की स्थापना का संकल्प लिया गया। मंदिर को भव्य रूप देने की बंगाली मूल के बाबा की कोशिश सफल नहीं हो सकी। बाद में लोगों के सहयोग से देवी मंदिर बना नदाष्टमी पर मेला कुछ बड़ा रूप लेने लगा। देवी मंदिर पुजारी स्वर्गीय केशव दत्त कपिल, स्व प्रेम सिंह बिष्ट, स्व लक्ष्मी दत्त जोशी इसमें विशेष पहल रही, बंशीधर कसल भी मेले को लेकर हमेशा सक्रिय रहे। बताते है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हीरालाल साह व अन्य ने पशु बलि बंद करवाकर नारियल तोडने की परंपरा भी शुरू करी 80 के दशक तक देवी के विरार्जन के लिए निकलने वाला डोला अथवा शोमा यात्रा में देवी की मूर्ति को बांस के डंडों में रखकर घुमायाँ जाता था लेकिन अब इसके लिए पीतल डोला तैयार किया गया है। देवी मंदिर के वर्तमान पुजारी मोहन चन्द्र कपिल बताते हैं कि उनके पिता स्वर्गीय केशव दत्त कपिल ने देवी के सपने में मिले संदेश के बाद भवाली में भी डोला यानी शोमा यात्रा की शुरुवात करवाई। तीसरी पीढ़ी में माँ की सेवा कर रहे हैं, इससे पहले पिता के बाद उनके पुत्र पूरन चन्द्र कपिल ने यह अनुष्ठान संपन्न कराएं। जानकारी के अनुसार नगर में छोटे देवी मंदिर में महान सत नानतिन महाराज ने 1930 में मूर्ति स्थापित करवाई थी। स्थानीय पुलारी मोहन चन्द्र कपिल बताते है कि तब मात्र 1 रूपया चंदा देने वाला बड़ा आदमी माना जाता था। नगर की रेवती चौधरी आमा मया के कपड़ों को रंगकर तयार करती थी मूर्ति निर्माण में प्रेम सिंह बिष्ट, बच्ची सिंह बोरा, व स्वर्गीय सतीश लाल साह का अहम योगदान रहा। स्थानीय निवासी रविशंकर जोशी और पूरन भाकुनी, गणेश पंत, भुवन तिवाड़ी, कंचन बेलवाल, मनीष साह, प्रभात जोशी पिछले 45 वर्षों से मूर्ति बनाते आ रहे है। साथ ही युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का काम कर रहे हैं। जिससे आने वाली पीढ़ी को महोत्सव से जोड़ा जा सके। शहर ही नही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो से भी लोग माँ नंदा सुनदा के दर्शन करने भवाली पहुंचते है। नदा महोत्सव भवाली में हर साल भव्य आयोजन होता जा रहा है।

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