दूसरों का दर्द हमें कैसे अनुभव होता है, जानें

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हमें अचरज होता है कई बार कि हम कैसे दूसरों का दर्द जान लेते हैं। इस बारे में हाल में नीदरलैंड इंस्टीटॺूट फॉर न्यूरोसाइंसेज के हालिया शोध में विस्तार से अध्ययन किया गया है। इस शोध में मानव शरीर में न्यूरॉन्स का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने दिखाया कि हमारे मस्तिष्क के एक हिस्से इंसुला पर दूसरों के दर्द को सुनकर क्या असर पड़ता है।

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हम दूसरों का दर्द कितना समझ सकते हैं, यह हममें कितनी सहानुभूति और दूसरों का सहयोग करने की इच्छा है, इस पर निर्भर करता है। यह शोध इस मायने में भी खास है कि हर व्यक्ति की दूसरों से हमदर्दी का स्तर अलग होता है। यहां तक कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे कुछ लोगों में दूसरों का दर्द महसूस करने की क्षमता का ही अभाव होता है।

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अभी तक वैज्ञानिक एफएमआरआई पर निर्भर करते थे। पर, एमआरआई से सीधे न्यूरॉल एक्टिविटी को नहीं जाना जा सकता है। इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने मरीज के दिमाग में सीधे इलेक्ट्रोड्स का इस्तेमाल किया। इंसुला हमारे दिमाग का एक छिपा हुआ हिस्सा है, जिसे भावों के नियमन में जरूरी माना जाता है। यह हिस्सा हमारे अांतरिक अंगों, त्वचा से सूचनाएं जमा करता है, साथ ही इसे हम क्या देखते, सुनते और सूंघते हैं, उससे जोड़ता है। अध्ययन में मरीजाें को फिल्म दिखाई गई। कलाकार के हावभाव को मस्तिष्क किस तरह पढ़ता है, यह देखा गया। हमारा मस्तिष्क बाहरी स्पष्ट हलचल ही नहीं, दूसराें की आंखों की हलचल, उसमें हो रहे फैलाव और संकुचन, त्वचा के नीचे हो रहे असर को भी पढ़ सकता है।

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