विकसित समाज बनाने को बच्चों को अच्छे संस्कार देना जरूरी, अध्यक्ष कुसुम कंडवाल

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हल्द्वानी। हल्द्वानी विकास खंड सभागार में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे हिंसा व उत्पीड़न की रोकथाम के लिए उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई।
पुलिस विभाग को थाने, चैकियों में ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं से सौम्य व्यवहार अपनाते हुए उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करने को कहा गया। अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि शिक्षित व विकसित समाज निर्माण के लिये आवश्यक है कि अभिभावक अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। जिससे समाज मे आये दिन हो रही घटनाओं और उत्पीड़न पर रोक लग सके। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न, अप्रिय घटना के प्रति महिला आयोग कन्धा से कंधा मिलाकर खड़ा है। ऐसे वर्ग और समुदाय के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई अमल में लायी जाएगी। आयोग का कर्तव्य है कि महिलाओं के उन्नयन में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास किया जा सके। आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार द्वारा भरसक प्रयास व योजना संचालित की गई है।
अपर परियोजना निदेशक शिल्पी पंत ने बताया कि आजीविका-एनआरएलएम का मुख्य उद्देश्य गरीब ग्रामीणों महिलाओं को सक्षम और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान कर उनकी आजीविका में निरंतर वृद्धि करना, वित्तीय सेवाओं तक उनकी बेहतर और सरल तरीके से पहुंच बनाना और उनकी पारिवारिक आय को बढ़ाना है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं का एक समूह (5 से 10 महिलाओं) गठित किया जाता है। समूह के माध्यम से महिलाओं को सामूहिक लेनदेन सिखाया जाता है, इससे महिलाओं में बचत की भावना विकास होता है। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा रिवोल्विंग फण्ड की धनराशि दी जाती है। महिलाओं के द्वारा पारदर्शिता के साथ साप्ताहिक बैठक आयोजित की जाती है। जिसमे अपने कार्यव्यापार पर चर्चा करते हैं । इससे महिलाओ में सामाजिक एकता की भावना विकसित होती हैं । महिलाओं द्वारा आपसी लेनदेन से बिजनेस की अवधारणा विकसित होने पर सक्रिय समूह को 6 माह बाद बैंक से आवश्यकतानुसार लोन दिलाया जाता हैं । जिला कार्यक्रम अधिकारी मुकुल कुमार ने बताया कि आंगनवाडी कार्यकत्री का कार्य माँ के समान है। जिसका उद्देश्य है कि गर्भावस्था में पल रहे शिशु का जन्म स्वस्थ हो। स्वस्थ शिशु के जन्म से ही देश का विकास होगा। एक कुशल मानव संसाधन का विकास स्वस्थ शिशु के जन्म से ही सम्भव है। जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना प्रदेश के उन बच्चों के लिए आरम्भ की गई है जिनके माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुई है। इस योजना के माध्यम से ऐसे सभी बच्चों को 3 हजार प्रतिमाह की आर्थिक सहायता भरण-पोषण भत्ता के रूप में प्रदान की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बच्चों के समर्थन और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, ताकि वे मजबूत नागरिक के रूप में विकसित हों और उनका भविष्य उज्ज्वल हो। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन के सौजन्य से कोविड प्रभावित बच्चों के समर्थन और उनके सशक्तिकरण के लिए कदम उठाया गया है। सरकार उन बच्चों के साथ खड़ी है, जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता-पिता को खो दिया। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा।
इस दौरान अपर मुख्य चिकित्साअधिकारी डॉ रश्मि पंत ने जानकारी दी कि लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम, 1994 पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। अवैध संचालित हो रहे केंद्रों ओर छापेमारी कर कार्रवाई की जाती है। वन स्टॉप सेंटर की प्रबन्धक सरोजिनी जोशी ने बताया कि सेंटर का कार्य पीड़ित महिला एवं बालिका को तत्काल आपातकालीन एवं गैर आपातकालीन सुविधायें उपलब्ध करना, जैसे-चिकित्सा, विधिक, मनौवैज्ञानिक परामर्श आदि।
बैठक में अपर जिलाधिकारी शिवचरण द्विवेदी,एसपी सिटी हरबंस सिह, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी रश्मि पंत, उपजिलाधिकारी मनीष कुमार सिह,एपीडी शिल्पी पंत,जिला कार्यक्रम अधिकारी मुकुल कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन,बीडीओ डॉ निर्मला जोशी, चन्द्रशेखर जोशी, शान्ति भटट आदि मौजूद रहे।

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