भीमताल। क्षेत्र के श्री श्री 1008 वन श्री आश्रम में चल रही शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन शनिवार को आचार्य व्यास नीरज महादेव ने व्यासपीठ से कथामृत बरसाते हुए शिवतत्व की महिमा बताई। सती के देहत्याग के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लेने से लेेकर शिव पार्वती विवाह तक का वर्णन किया गया। शिव विवाह की कथा में श्रोता झूम उठे। बताया शिव परिवार से हमें शिक्षा मिलती है कि घर परिवार की शांति का मूल स्रोत पारिवारिक एकता ही है। भले विचारों में मतभेद हो, लेकिन हृदय में एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम ही सुखी जीवन का आधार है जो हमें शिव परिवार से ही प्राप्त होता है। कथा के अंत में शिव-पार्वती का विवाह संपन्न कराया गया। कथा प्रांगण में उपस्थित सभी भक्त झूमते गाते दिखाई दिए। कहा कि शिवजी की भक्ति करने से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। शिवजी को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वह भक्तों के लिए भोले बन जाते हैं और थोड़ी सी स्तुति करने पर भी उनकी मनोकामना पूरी कर देते हैं।
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