हाईकोर्ट ने प्रदेश के निकाय एवं पंचायत चुनाव में तीन बच्चों वाले उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग नियम होने को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
मंगलवार को मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में हुई। मामले के अनुसार किच्छा (ऊधमसिंह नगर) निवासी नईम उल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के नगरपालिका ऐक्ट संशोधन अधिनियम 2003 की धारा 3 को चुनौती दी है। याचिका में कहा है कि 2003 के बाद जिसके तीन बच्चे होंगे, उन्हें नगरपालिका का चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा। जबकि पंचायतों में 27 सितंबर 2019 के बाद तीन बच्चों वाले के चुनाव लड़ने पर रोक है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि अब तक वे ग्रामीण इलाके में आते थे और चुनाव लड़ सकते थे लेकिन सरकार ने अब उनके ग्रामीण क्षेत्र को नगर पालिका में जोड़ दिया है। जिससे वह चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित करना उनके साथ अन्याय है। सरकार के इस अधिनियम पर रोक लगाई जाए। निकायों का विस्तार ग्राम पंचायतों से ही होता है। राज्य में दो कानून एक साथ लागू करना नागरिकों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन है
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