भवाली/ भीमताल। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, भीमताल कैंपस के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर सिंह बिष्ट ने ‘एआई फॉर कुमाऊँनी वाणी: स्थानीय विरासत का संरक्षण’ परियोजना की शुरुआत कर एक ऐतिहासिक पहल की है। यह भारत का पहला स्थानीय अनुवाद मॉडल है, जो कुमाऊँनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन पर केंद्रित है। परियोजना के अंतर्गत बी.टेक (CSE) तृतीय वर्ष के छात्र अतुल जोशी को सशुल्क इंटर्नशिप प्रदान की गई है। अतुल उत्तराखंड के रुद्रपुर निवासी नवीन चंद्र जोशी एवं गीता जोशी के सुपुत्र हैं। इस परियोजना को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित वॉलमार्ट में कार्यरत भारतीय मूल के श्री नीलेश कुमार तंवर का उदार आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है।
तकनीकी दृष्टि से एक क्रांतिकारी कदम
परियोजना के प्रथम चरण में कुमाऊँनी भाषा का एक सुव्यवस्थित डेटा सेट तैयार कर एआई मॉडल को प्रशिक्षित किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अब मॉडल की सटीकता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त ट्यूनिंग की योजना बनाई जा रही है, जिससे यह और अधिक प्रभावी हो सके।
स्थानीय भाषा के लिए एक बड़ा कदम
यह पहल स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और कुमाऊँनी भाषा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है। इसके माध्यम से सरकारी और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुमाऊँनी भाषा में सामग्री उपलब्ध कराना आसान होगा, जिससे यह भाषा और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।
‘वोकल फॉर लोकल’ को मिलेगा बढ़ावा
यह परियोजना प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के अनुरूप है, जो स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी की यह पहल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को डिजिटल युग में नई मजबूती देने की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकती है।

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