अंग समर्पण यात्रा 1 दिसंबर से हरिद्वार से देहरादून के लिए निकलेगी

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अंग समर्पण यात्रा 1 दिसंबर 2025 को हरिद्वार से देहरादून ❤️🙏🙏 उद्देश्य–: गौमाता संरक्षण हेतु संकल्प धण्डवत यात्रा एवं अंग समर्पण। गौसंरक्षण भारतीय संस्कृति, आस्था और जीवनशैली का प्राचीन आधार रहा है। इसी उद्देश्य को समर्पित होकर गोमाता संरक्षण हेतु संकल्प धण्डवत यात्रा एवं अंग समर्पण आरम्भ किया गया है। इस यात्रा का मूल भाव यह है कि जब तक गोमाता को राज्य माता का दर्जा नहीं मिल जाता, तब तक यह अभियान निरंतर चलता रहेगा। धण्डवत यात्रा का स्वरूप इस संकल्प यात्रा में मैं भूमि पर लेटकर धण्डवत प्रणाम करते हुए आगे बढूंगा। हर धण्डवत केवल शारीरिक परिश्रम नहीं, बल्कि गोमाता के प्रति समर्पण, श्रद्धा और समाज जागरण का प्रतीक है। यह यात्रा अहिंसा, त्याग और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देती है। अंग समर्पण का संकल्प इस यात्रा से जुड़ा प्रमुख संकल्प है अंग समर्पण — अर्थात् जब तक गोमाता को न्याय और सम्मान नहीं मिलता, तब तक स्वयं को इस अभियान में पूर्ण रूप से समर्पित रखना। यह एक प्रकार का आध्यात्मिक व्रत है जो व्यवस्था को जगाने और समाज को प्रेरित करने का माध्यम बनता है। सरकारों से गोमाता को राज्य माता का दर्जा दिलाने, उचित संरक्षण, गो-हत्या पर कठोर प्रतिबंध और गोवंश के लिए सुरक्षित आश्रयों की मांग इस संकल्प का प्रमुख भाग है। यात्रा का सामाजिक लाभ यह धण्डवत यात्रा केवल व्यक्तिगत साधना नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का अभियान है। यात्रा से समाज को मिलने वाले प्रमुख लाभ — गौसंरक्षण के प्रति जन-जागरण बढ़ता है। गाँव–गाँव और शहर–शहर में गोमाता की महत्ता का संदेश पहुँचता है। युवा पीढ़ी में धर्म, सेवा और त्याग की प्रेरणा उत्पन्न होती है। पशु–धन को बचाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने का भाव लोगों में जागृत होता है। समाज में करुणा, सद्भावना और नैतिकता का प्रसार होता है। इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य (मकसद) इस संकल्प यात्रा का मुख्य उद्देश्य है — गोमाता को राज्य माता का दर्जा दिलवाना। देशभर में गोवंश सुरक्षा को मजबूत और संवैधानिक संरक्षण दिलाना। प्रशासन और सरकारों का ध्यान गौहत्या, पशु तस्करी और उपेक्षा की ओर आकर्षित करना। समाज में सेवा–भाव, संयम और त्याग की प्रेरणा फैलाना। गोशालाओं, गौ–आश्रयों और बेसहारा पशुओं के लिए स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना। यह यात्रा केवल कदमों की गति नहीं, बल्कि राष्ट्र और संस्कृति की आत्मा को सुरक्षित रखने का अटूट संकल्प है। गोमाता के सम्मान और सुरक्षा हेतु यह आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक उनके लिए न्याय और सर्वोच्च सम्मान स्थापित नहीं हो जाता।

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