नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, बिना प्रधानाचार्यों के राज्य की माध्यमिक शिक्षा भगवान भरोसे चल रही है। उन्होंने कहा कि, ऐसा वे इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तराखण्ड के लगभग 90 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालय बिना प्रधानाचार्यों या प्रधानाध्यापकों के चल रहे हैं और सरकार इन रिक्त पदों को भरने में कोई रुचि नहीं ले रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, फरवरी माह में हुए बजट सत्र में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य में राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यो के 1385 पद स्वीकृृत हैं जिनमें से तब कार्यरत केवल 277 थे। याने फरवरी माह तक राज्य के इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के 1108 पद खाली है। यही हाल हाई स्कूल के प्रधानाध्यापकों के भी हैं। राज्य के हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 910 स्वीकृृत पदों में से केवल 109 भरे हैं। याने 801 पद खाली हैं। इस साल मार्च में काफी बड़ी संख्या में प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापक सेवानिवृृत्त हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कहा कि, राज्य के किसी भी पर्वतीय जिले में तैनात प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यपकों की संख्या दहाई के आंकड़े को भी पार नही ंकर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि, ऐसा लगता है कि सरकार किसी छुपे हुए एजैंडे के तहत राज्य की शिक्षा व्यवस्था को खत्म करना चाह रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा मंत्री पर विधानसभा में भी झूठा आश्वासन देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, फरवरी माह में हुए बजट सत्र में नियम 58 में शिक्षा पर हुई चर्चा पर शिक्षा मंत्री ने सदन में आश्वासन दिया था कि, जल्दी ही वे सेवा नियमावली में परिवर्तन कर इन खाली पदों पर भर्ती या प्रमोशन की प्रक्रिया शुरु कर देंगे। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि, शिक्षा मंत्री के आश्वासन के 3 माह बीतने के बाद भी शिक्षा विभाग नियमावली में परिवर्तन कर, इन पदों को भरने की दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बड़ा है। उन्होंने कहा कि, इन हालातों में आने वाले 3 सालों में राज्य के सारे विद्यालय प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यक विहीन हो जाऐंगे । श्री यशपाल आर्य ने कहा कि, राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए यह बड़ी अफसोस जनक स्थिति होगी।
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