कबीर के पदों की संगीतमय प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध किया

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भवाली। कुमाऊँ विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में कबीर मठ, वाराणसी के म्यूजिक ग्रुप “ताना-बाना” द्वारा संत कबीर के पदों की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। कबीर मठ के देवेन्द्र दास और भागीरथ दास के निर्देशन में “ताना-बाना” की सांस्कृतिक टीम ने कबीर के लोकप्रिय पद कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, कैसे दिन कटि है, रामा जतन बताये जईहो, जरा धीरे-धीरे जरा हौले-हौले गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले, राम नाम रस भीनी चदरिया भीनी-भीनी चदरिया झीनी-झीनी, साहेब तेरा भेद न जाने कोई तेरा, साधो-साधो ये मुर्दों का गाँव, घूँघट के पट खोल पिया मिलेंगे, उड़ जा हँस अकेला साधो, मैं तो तेरे पास में बन्दे मोको कहाँ ढूँढे रे बन्दे, पिंजड़े वाली ना रे मुनिया तेरे सदगुरू हैं, व्यापारी आदि की सुमधुर प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सांस्कृतिक टीम द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत महादेवी वर्मा की कविता ‘वे मुस्काते फूल नहीं इनको आता है। मुरझाना, वे तारों के दीप नहीं जिनको भाता है बुझ जाना’ की संगीतबद्ध प्रस्तुति से हुई। कार्यक्रम में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर दीपक मलिक, अकादमिक निदेशक डाॅ. मिरीया मलिक, महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य, शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीष कुमार, अतिथि व्याख्याता मेधा नैलवाल, सामाजिक कार्यकर्ता बची सिंह बिष्ट, कवि-साहित्यकार हिमांशु डालाकोटी, पृथ्वीराज सिंह, रजनी चौधरी, नरेन्द्र बंगारी व बीएचयू में अध्य्यनरत विदेशी छात्र-छात्राएँ शामिल थे।

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