कालाढूंगी चौराहे पर स्थित कालूसिद्ध मंदिर को हटाने की कवायद शुरू हो गई है, लेकिन मंदिर के पीछे बनी धूनी अपनी जगह पर बनी रहेगी। बुधवार को नए मंदिर के लिए भूमि पूजन किया गया। मंदिर के डिजाइन के अनुसार निर्माण के बाद मंदिर और धूनी एक सीध में दिखाई देंगे। नए मंदिर का निर्माण मंदिर समिति जनसहयोग से करेगी।
शहर में बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए चौराहों के चौड़ीकरण का काम किया जा रहा है। इसके लिए इसकी जद में आ रहे अस्थाई और स्थाई निर्माण को हटाया जा रहा है। कालाढूंगी चौराहे पर सड़क को 12 मीटर चौड़ा करने के लिए यहां मौजूद कालूसिद्ध मंदिर को भी हटाया जा रहा है। इसके पास ही अपना बाजार की खाली हुई जमीन पर नए मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए बुधवार को मंदिर समिति ने भूमि पूजन किया।
सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी ने बताया कि मंदिर के पीछे बनी धूनी सड़क की सीमा से बाहर होने से इसे नहीं हटाया जाएगा। ऐसे में नए मंदिर के निर्माण के बाद धूनी मंदिर की सीध में दिखाई देगी। बताया कि अब जल्द ही नए मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद यहां प्राण प्रतिष्ठा कर पुराने मंदिर को हटाया जाएगा। यहां मंदिर के महंत कालू गिरी महाराज, एसडीएम परितोष वर्मा, निवर्तमान मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट मौजूद रहे।
हल्द्वानी शहर के रक्षक की मान्यता
कालू सिद्ध बाबा को हल्द्वानी शहर का रक्षक भी माना जाता है। यहां गुजरने वाला हर व्यक्ति कालू सिद्ध बाबा के मंदिर में एक बार दर्शन करने जरूर आता है। मान्यता है कि मंदिर में मनोकामना पूरी होती है।
दौ सौ साल पुराना मंदिर
हल्द्वानी के पुराने निवासी दावा करते हैं कि कालू सिद्ध बाबा का मंदिर 200 से अधिक साल पुराना है। आजादी से पहले कालू सिद्ध बाबा हल्द्वानी पहुंचे थे तो उन्होंने यहां एक मठ की स्थापना की थी।
सांस्कृतिक धरोहर है बाबा का मंदिर
कालू सिद्ध बाबा का मंदिर एक शांत और पवित्र स्थल है यह लोगों को आध्यात्मिक शांति और सुकून प्रदान करता है। मंदिर की वास्तुकला बहुत आकर्षक है, जो पारंपरिक उत्तराखंडी शैली में बना है। कालू सिद्ध बाबा का मंदिर सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।
बाबा की समाधि के लिए प्रसिद्ध है मंदिर
कालू सिद्ध बाबा मंदिर एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है। मान्यता है कि कालू सिद्ध बाबा एक महान संत और योगी थे। मान्यता है कि बाबा ने अपना जीवन आध्यात्मिक साधना और लोगों की सेवा में समर्पित किया था।
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