भवाली। सरपंचों व पंचों की समस्याओं को लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश जोशी ने वन मंत्री सुबोध उनियाल को ज्ञापन सौपा। कहा कि
सरपंचो व पंचों का मानदेय सुनिश्चत किया जाये। वन पंचायत सलाहकार परिषद का गठन वन पंचायत सरपंचों से हो। पूरे प्रदेश में क्षेत्रीय परामर्शदात्री समिति का तुरन्त गठन,
हर जनपद में उसकी जनपदीय परामर्शदात्री समिति का गठन, राजस्व विभाग में वन पंचायतों का सीमांकन करवा कर वन पंचायतों की भूमि का अतिक्रमण हटाकर वन भूमि वन पंचायतों को वापस दिलवाई जाये।
सीमांकन के स्तंभ बने रहें। साथ ही
कम क्षेत्रफल वाली वन पंचायतों को विस्तारित किया जाये। वन पंचायतों के लीसे के बिकने पर प्राप्त धन को तुरन्त एक माह के भीतर वन पंचायत के खाते में ऑनलाइन जमा हो।
इसके आलाव जो धनराशि राज्य से बाहर भेजी जा रही है, उस क्षतिपूरक राशि को वन पंचायतों में लगाया जा सके। जल्द वन चौकीदार की नियुक्ति, वन पंचायत भवनों का निर्माण, और इसमें ही सम्बन्धित वन पंचायत का कार्यालय हो। नियमावली में सचिव का कार्य स्पष्ट रहे। नियमावली में बिन्दु 52,53,54 के पदाधिकारियों की संख्या बढ़ायी जाए, और प्रदेश अध्यक्ष को जिला अध्यक्ष परामर्श दात्री से ही सुनिश्चित किया जाये। वन पंचायतों को ईको टूरिज्म से जोडा जाए।
जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष को कार्यालय हेतु कक्ष मिला है उसी तरह जिलाध्यक्ष हेतु प्रभागीय कार्यालय
में कार्यालय हेतु कक्ष दिया मिले।
वन पंचायतों का सीमांकन कर एटलस जारी किया हो, जिसमें मुख्य प्रजाति का भी जिक्र हो। नियमावली में संशोधन कर सरपंचों के हितों को सुरक्षित करे न कि पदों को समाप्त किया जाये। वन पंचायतों को स्वतंत्र कर सुदृढ़ किया जाये व ग्राम वन तथा प्रबंधन समिति को हटाया जाये। वन पंचायत सरपंचों एवं सदस्यों को वन पंचायत नियमावली लेखा तथा वनाग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण भ्रमण एवं ज्ञानवर्धन एफ०टी०आई० हल्द्वानी में हो।
इस दौरान रामगढ़ सरपंच अध्यक्ष कमल सुनाल, भीम सिंह नेगी, डूंगर, जगदीश आदि रहे।
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