निकायों में ओबीसी आरक्षण इस बार 14 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के पार जा सकता है

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प्रदेश के ज्यादातर निकायों में ओबीसी आरक्षण इस बार 14 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के पार जा सकता है। ओबीसी आरक्षण का खाका तैयार करने के लिए गठित एकल सदस्यीय जस्टिस बीएस वर्मा आयोग अब किसी भी दिन सरकार को रिपोर्ट सौंप सकता है।

प्रदेश में निकाय चुनावों का दारोमदार अब आरक्षण प्रक्रिया पर टिका हुआ है, एससी, एसटी और महिला आरक्षण का निर्धारण तो तय कोटे के अनुसार सरकार के स्तर से किया जाना है, दूसरी तरफ ओबीसी आरक्षण का निर्धारण बीएस वर्मा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किया जाना है। आयोग ने लंबी प्रक्रिया के बाद अब अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी है। पिछले चुनावों में तक ओबीसी को अधिकतम 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता था, लेकिन इस बार आयोग के सर्वे में तकरीबन सभी निकायों में ओबीसी आबादी बढ़ी है। इस कारण ज्यादातर जगह ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत की सीमा के पार जा सकता है। इसमें हरिद्वार, यूएसनगर, उत्तरकाशी जैसे निकायों में यह सीमा 25 प्रतिशत तक जा सकती है। हालांकि रिपोर्ट को पूरी तरह स्वीकार करना या इस पर आंशिक अमल करना सरकार पर निर्भर कर सकता है। इसके बाद सरकार के स्तर से निकायों में आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी, हालांकि राजनैतिक हालातों को देखते हुए यह काम अब लोकसभा चुनावों के बाद ही होने की संभावना है

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