ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, भीमताल में राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह का आयोजन“टीकाकरण के समर्थक के रूप में फार्मासिस्ट” विषय पर Industry Connect-2025 कार्यक्रम संपन्न

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भीमताल। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, भीमताल के कॉलेज ऑफ फार्मेसी में राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह के अवसर पर Industry Connect-2025 कार्यक्रम का आयोजन “टीकाकरण के समर्थक के रूप में फार्मासिस्ट” थीम के तहत किया गया। इस अवसर पर भारत के वैश्विक फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के साथ शिक्षा एवं उद्योग के बीच सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके पश्चात मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र कुमार जोशी, हेड – मानव संसाधन एवं प्रशासन, Meek Pharma का स्वागत किया गया। उन्होंने प्रथम तकनीकी सत्र में “दवा निर्माण में भारत की वैश्विक उपस्थिति” विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि कैसे भारत दुनिया को बड़ी मात्रा में वैक्सीन एवं जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराकर “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। उन्होंने नियामक प्रथाओं, प्रशिक्षित पेशेवरों और गुणवत्ता मानकों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। यह सत्र छात्रों के लिए उद्योग की अपेक्षाओं एवं निर्माण, नियामक कार्यों सहित अनेक क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों को समझने में अत्यंत उपयोगी रहा।

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द्वितीय तकनीकी सत्र में सीएसआईआर–सीडीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. युवराज सिंह ने वर्चुअल माध्यम से छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। उन्होंने दवा अनुसंधान, फॉर्मुलेशन विकास, क्लीनिकल रिसर्च, क्वालिटी सिस्टम्स, रेगुलेटरी कार्य तथा उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में फार्मेसी स्नातकों के लिए खुल रहे नए करियर अवसरों पर चर्चा की। अपने वास्तविक अनुसंधान अनुभवों के आधार पर उन्होंने बताया कि कैसे लैब में किया गया शोध धीरे-धीरे व्यावहारिक उपचारों में परिवर्तित होता है और मरीजों तक पहुँचता है। उनका सत्र अत्यंत प्रेरणादायक और मार्गदर्शक रहा।

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सत्रों के बाद छात्रों और अतिथि वक्ताओं के बीच संवादात्मक चर्चा आयोजित हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछकर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम के अंत में कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि फार्मेसी का भविष्य नवाचार, जिज्ञासा और शोध के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है। उन्होंने छात्रों को पेशेवर कौशल विकसित करने और कक्षा से बाहर भी सीखने की प्रेरणा दी, ताकि वे समाज के प्रति सार्थक योगदान दे सकें।

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