2021 में दक्षिण अफ्रीका के स्टेलनबोश विश्वविद्यालय की फिजियोलॉजिस्ट रेसिया प्रीटोरियस द्वारा लॉन्ग कोविड से माइक्रोक्लॉट्स की संभावना व्यक्ति की गई। 2022 में थिएरी ने दिखाया कि लंबे समय तक कोविड से पीड़ित रोगियों में न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रासेलुलर ट्रैप्स या एनईटी का स्तर बढ़ा हुआ होता है। ये डीएनए, एंजाइमों के चिपचिपे जाल होते हैं जो श्वेत रक्त कोशिकाओं द्वारा शरीर पर आक्रमण करने वाले रोगजनकों को पकड़ने और रोकने के लिए छोड़े जाते हैं। एनईटी जब बड़ी संख्या में निकलते हैं तो ये रक्त प्रवाह की समस्याएं होती हैं।
नई दिल्ली
कोविड की महामारी खत्म हुए कई साल गुजर गए लेकिन इसके चौंकाने वाले दुष्प्रभाव अभी भी सामने आ रहे हैं। एक नए अध्ययन में लॉन्ग कोविड (जो लोग तीन महीने या अधिक समय तक कोविड की चपेट में रहे) से ग्रस्त लोगों के रक्त में असामान्य रूप से सूक्ष्म थक्के पाए गए हैं।
ये सूक्ष्म थक्के भी रक्त प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं। जर्नल आफ मेडिकल वायरोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, लॉन्ग कोविड से पीड़ित रोगियों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने असामान्य सूक्ष्म संरचनाओं की पहचान की है जो ब्रेन फॉग और थकान जैसे लक्षणों का कारण बन सकती हैं। ये सूक्ष्म संरचनाएं असामान्य रूप से स्थाई रक्त के थक्के होते हैं जो स्ट्रोक या थ्रोम्बोसिस जैसी स्थितियों में देखे जाने वाले थक्कों से भी छोटे हैं। फिर भी कोशिकाओं के माध्यम से रक्त प्रवाह में बाधा डालने के लिए पर्याप्त बड़े होते हैं। फ्रांस के मोंटपेलियर विश्वविद्यालय के आनुवंशिकीविद एलेन थियरी के नेतृत्व में तैयार किए गए शोधपत्र के अनुसार, यह अध्ययन थ्रोम्बोइन्फ्लेमेटरी गतिविधि और लॉन्ग कोविड के संकेत देने वाले बायोमार्कर के बीच एक मजबूत संबंध दर्शाता है।
दूसरे, शोध के नतीजों से भविष्य में उपचार की रणनीति निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। विश्लेषण से पता चला कि दीर्घकालीन कोविड से पीड़ित रोगियों में स्वस्थ नियंत्रण समूहों की तुलना में सूक्ष्म थक्कों की संख्या नाटकीय रूप से अधिक थी। यह औसत से 19.7 गुना तक ज्यादा पाई गई। ये थक्के स्वस्थ रक्त में देखे गए सूक्ष्म थक्कों से भी बड़े थे।
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