भीड़ापानी क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं की दुर्दशा को लेकर मंत्री धन सिंह रावत को सौंपा ज्ञापन

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धारी।
भीड़ापानी क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं की दुर्दशा को लेकर मंत्री को सौंपा गया ज्ञापन् ।
विकासखंड ओखलकांडा के दूरस्थ व पिछड़े क्षेत्र भीड़ापानी और आसपास के गांवों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं की गंभीर स्थिति को लेकर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं निवर्तमान ग्राम प्रधान प्रशासक मुकेश चन्द्र बौद्ध के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने हल्द्वानी स्थित एफडीआई कार्यालय में उत्तराखंड सरकार के शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में भीड़ापानी क्षेत्र में 10 बेड के अस्पताल की स्थापना, डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति तथा प्राथमिक उपचार हेतु संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की गई है। वर्तमान में ग्रामीणों को इलाज के लिए 60 से 130 किलोमीटर दूर ओखलकांडा, पदमपुरी या हल्द्वानी जाना पड़ता है, जिससे गर्भवती महिलाओं, वृद्धों और आपातकालीन मरीजों को जान का जोखिम उठाना पड़ता है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी कई विद्यालय लंबे समय से बंद हैं और कई में केवल एक शिक्षक कार्यरत है। इससे बच्चों को प्रतिदिन 5–7 किलोमीटर की जोखिम भरी यात्रा करनी पड़ती है, जो विशेषकर छोटे बच्चों के लिए अत्यंत कठिन है।
मुकेश चन्द्र बौद्ध ने मांग की कि—बंद विद्यालयों को पुनः संचालित किया जाए,शिक्षकों की तत्काल नियुक्ति की जाए,तथा दूरस्थ विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को ‘एस्कॉर्ट भत्ता’ अथवा वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग में एस्कॉर्ट भत्ता योजना का प्रावधान होते हुए भी उसे लागू नहीं किया जा रहा है, जिससे बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है।यदि पहाड़ों में शिक्षा की मजबूत व्यवस्था नहीं होगी तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ प्रतियोगी दौर में पीछे रह जाएंगी,।
सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र सिंह धोनी ने भी इस अवसर पर क्षेत्र की स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी समस्याओं को गंभीर बताया और कहा,हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियाँ स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और स्कूलों की बदहाली हैं। यदि भीड़ापानी जैसे क्षेत्र में एक अस्पताल खुलता है और बंद विद्यालयों को फिर से शुरू किया जाता है, तो यह हज़ारों ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।
ज्ञापन देने वालों में मुकेश चन्द्र बौद्ध (प्रशासक, निवर्तमान ग्राम प्रधान भुमका), सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र सिंह धोनी, भागीरथ कटारिया, एडवोकेट गंगाप्रसाद, एडवोकेट राजेन्द्र प्रसाद, विनोद कुमार सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे।

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