मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ बी एस जंगपांगी ने बताया कि जनपद में लम्पी रोग की रोकथाम हेतु पशुपालन विभाग द्वारा निःशुल्क वृहद टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। पशुपालन विभाग द्वारा अब तक 30 हजार गोवंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है व वर्तमान में भी जारी है । विभाग के पास लगभग 80 हजार की संख्या में वैक्सीन भी उपलब्ध है, जो कि पर्याप्त है, आवश्यकता पड़ने पर अधिक वैक्सीन भी उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने कहा कि लम्पी वायरस को लेकर वर्तमान में जनपद की स्थिति सामान्य है। अधिक जानकारी के लिए सीवीओ डॉ बी एस जंगपांगी के नम्बर- 919412034597 पर सम्पर्क किया जा सकता है। इसके साथ ही पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को जागरूक भी किया जा रहा है।
• मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ जंगपांगी ने बताया कि पशु के शरीर का तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट होना पशु को कम भूख लगना पशु के चेहरे, गर्दन, थन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें पैरों में सूजन हो जाना लम्पी वायरस के लक्षण है।
• लंपी स्किन डिजीज को ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक पशु से दूसरे पशु को होती है। आसान शब्दों में कहें तो संक्रमित पशु के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है। यह बीमारी कैप्री पौक्स नामक वायरस के चलते होती है। जानकारों की मानें तो मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए यह बीमारी मवेशियों को होती है।
• उन्होंने लम्पी वायरस के सम्बन्ध में पशुपालकों को सचेत व जागरूक होने की सलाह देते हुए कहा कि अपने पशुआवास के नजदीक मच्छर व कीड़ो को पनपने न दे। साथ ही स्वच्छ्ता का विशेष ध्यान रखे जिससे कीट, मच्छर इस बीमारी को संक्रमित करने का वाहक न बन सके। यदि किसी कारणवश जानवर की लम्पी वायरस से मृत्यु हो जाती है तो जानवर को गड्ढे में डालते समय चूना व नमक का अवश्य छिड़काव करें। पशुपालक स्वस्थ पशु को रोगी पशुओं से हरहाल में अलग रखे व रोगी पशु के ईलाज हेतु निकटतम पशु चिकित्सीय केंद्र से परामर्श अवश्य ले जिससे समय से रोगी पशु का इलाज कर स्वस्थ किया जा सके।
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