भवाली। उत्तराखंड वन पंचायत संघर्ष मोर्चा अपनी मांगों को लेकर जल्द मुख्यमंत्री, वन मंत्री को ज्ञापन सौपेगा।
प्रदेश अध्यक्ष पुरन रावल, सचिव कमान सिंह, उपाध्यक्ष दान सिंह कठैत, सरपंच संगठन अध्यक्ष कैलाश खंडूरी, सरपंच अध्यक्ष कमल सुनाल ने बताया कि 22 मार्च को श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल में पंचायत संघर्ष मोर्चा के द्वारा वन अधिकार कानून की प्रासंगिकता, वन पंचायतों की उपयोगिता के मुद्दे पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ था। जिसमें अल्मोड़ा नैनीताल चंपावत पिथौरागढ़, चमोली, जोशीमठ, मलारी, टिहरी पौड़ी देहरादून के करीब 150 वन पंचायत सरपंच और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता बंद बजा संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पूरण रावल ने की। बैठक का संचालन गोपाल लोधियाल के द्वारा किया गया।
जिसमें कर्णप्रयाग विकासखंड के वन पंचायत अध्यक्ष कैलाश खंडूरी ने बताया कि लगातार पंचायतों के अधिकारों को खत्म किया गया है। जल्द मुख्यमंत्री, वन मंत्री, सचिव कोपत्र भेजकर वन पंचायतों के अधिकार मांगे जाएंगे। कहा कि सरपंचों को पुनः सांगठनिक जुटाना होगा, जिससे किसी मुकाम पर पहुँचा जा सकेगा। कमान सिंह वन पंचायत संघर्ष मोर्चा सचिव जिला अध्यक्ष पिथौरागढ़ वन पंचायत के द्वारा कहा गया लगातार वन विभाग के द्वारा वन पंचायत नियमावली में फेरबदल कर लोगों की सहायता खत्म करने का काम किया गया। और आज जरूरत है कि पूरे देश भर में जहां वन अधिकार कानून लागू हो रहा है। उत्तराखंड में कानून लागू नहीं किया जा रहा है कानून को लागू करने के लिए सांगठनिक ताकत को एकजुट करने की जरूरत है। लगातार उत्तराखंड में अभयारण्य और सेंचुरिया बनाकर लोगों के पारंपरिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। लोगों को बेदखल किया जा रहा है, यह बहुत खतरनाक है, वन पंचायत नियमावली 1931 को पुनः लागू किया जाए। और लोगों के पारंपरिक अधिकारों को पुनः बहाल किया जाए। संयोजक गोपाल लोधियाल, तरुण जोशी, भुवन पाठक ने कहा अगर कार्रवाई नही की गई तो आगे रणनीति बनाइ जाएगी।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें

