जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बड़ा अपडेट

ख़बर शेयर करें

नैनीताल। उत्तराखंड के बहुचर्चित जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और अपहरण प्रकरण की सुनवाई सोमवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल में हुई, लेकिन कोर्ट की खंडपीठ ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं सुनाया। अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 19 अगस्त को होगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ कर रही है।सोमवार को कोर्ट ने जिला प्रशासन और पुलिस को कई अहम निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने नैनीताल के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे अब तक इस मामले में हुई सभी कार्यवाहियों का विवरण एक शपथपत्र (एफिडेविट) के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत करें। इसके साथ ही एसएसपी ने कोर्ट में वादा किया कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी 24 घंटे के भीतर की।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड उच्च न्यायालय परिसर से बाहर 500 मीटर की परिधि में निषेधाज्ञा लागू

हाईकोर्ट ने जिला पंचायत के उन पांचों सदस्यों की बात सुनने से साफ इनकार कर दिया जिनके अपहरण का आरोप लगा है। कोर्ट ने कहा कि ये सदस्य पहले ही कोर्ट को गुमराह कर चुके हैं, इसलिए उनकी व्यक्तिगत दलीलें नहीं सुनी जाएंगी।

हाईकोर्ट ने फिलहाल री-पोल (दुबारा चुनाव) को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से भी इंकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस समय केवल चुनाव के दिन हुई घटनाओं से जुड़े मुद्दों पर ही सुनवाई कर रही है और इसी बिंदु पर स्वतः संज्ञान लिया गया है।

यह भी पढ़ें 👉  सेनिटोरियम नैनीबैंड बाईपास बोल्डर मलवा आने से हुआ बन्द

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब आरोपी बीजेपी नेताओं और कथित अपहरणकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल ने खुद कोर्ट में 24 घंटे के भीतर सभी आरोपियों को पकड़ने का आश्वासन दिया है।

नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव प्रकरण को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को कोर्ट का रुख बेहद सख्त देखने को मिला। मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा को कड़ी फटकार लगाते हुए कई तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि नैनीताल सिर्फ पर्यटक स्थल नहीं है, यह हाईकोर्ट भी है।

यह भी पढ़ें 👉  जयश्री ने मिसेज उत्तराखंड बनने के बाद कैंची धाम के किए दर्शन

हाईकोर्ट में पेश वायरल वीडियो पर जवाब देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उसका बचाव करने की कोशिश की, जिस पर कोर्ट ने नाराज़गी जताई और पूछा, “क्या हम अंधे हैं?” कोर्ट ने तीखे लहजे में सवाल किया, “आपकी पुलिस फोर्स कहां थी? और शहर में हिस्ट्रीशीटर क्या कर रहे थे?” कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाया कि वह अपराधियों का जबरन बचाव कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने सरकारी वकील से सीधे कहा, “सरकार से कहिए कि एसएसपी का ट्रांसफर कर दिया जाए।

Join WhatsApp Group

You cannot copy content of this page