कुमाऊनी भाषा को 8 वी अनुसूची का दिलाया जाए दर्जा, नमिता सुयाल

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भवाली भीमताल रोड़ स्थित एक सभागार में सोमवार को कुमाउनी गोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य अतिथि पदमश्री यशोधर मठपाल रहे । दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती शिशु मंदिर भीमताल के बच्चों ने मां सरस्वती की वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत कर सबका मन मोहा। कार्यक्रम का संचालन आपुण बोली , आपुण पछयांण की संयोजिका नमिता सुयाल और सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमचंद्र सिंह कुल्याल द्वारा संयुक्त रुप से किया गया। मुख्य वक्ता मठपाल ने कहा कि आज कुमाऊनी बोली अपना अस्तित्व खोते जा रही है इसे बचाना हम सबका पहला काम है। अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में हमारी बोली विलुप्त हो जाएगी । उन्होंने सभी लोगों से अपने घर में अधिक से अधिक कुमाऊनी बोली बोलने को कहा । पहरु के संपादक हयात सिंह रावत ने कहा कुमाऊनी में उत्तराखंड की बोली को कुमाऊनी गढ़वाली दोनों भाषाओं में दर्जा आठवीं अनुसूची में देना पड़ेगा जिस तरह असम और जम्मू – कश्मीर में दोनों भाषाओं को दर्जा प्राप्त हुआ है और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उसका सिंह मेहरा जी ने कहा कि यह तो शुरुआत है आगे हम इसको एक जन आंदोलन के रूप में घोस्टिया करेंगे और सरकार में बिगुल बजाएंगे कि कुमाऊनी बोले को आठवीं अनुसूची में दर्जा प्राप्त हो । ब्लाक प्रमुख डॉ हरीश बिष्ट ने कहा कि इस तरह आयोजनों से हमारी कुमाऊनी बोली को बचाया जा सकता है । हम सबको मिलकर आगे आना चाहिए और जिससे जो भी सहयोग हो वह करना चाहिए । इस मौके पर मंजू पांडे हेमा हरबोला अनिल चनौतियां दयाल आर्य कृपाल सिंह मेहरा धीरज जोशी आदि वक्ताओं ने भी कुमाऊनी बोली को बचाने के लिए सभी को जागरूक होने की अपील की।

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