हरिद्वार के समीप चिड़ियापुर स्थित रेस्क्यू और पुनर्वास सेंटर में नौ ऐसे गुलदार हैं, जो ताउम्र वहीं रहेंगे। यानी ‘उम्रकैद’ जैसी स्थिति में उनकी आगे की उम्र अब यहीं गुजरेगी। अब ना वो जंगल देख सकेंगे और ना आजादी से घूम सकेंगे। इनको वहां पिंजरों में कैद रखा गया है।
प्रदेश के विभिन्न इलाकों से पकड़े गए इन गुलदारों को रूबी, रॉकी, दारा, मुन्ना, जाट, मोना, गब्बर जैसे नामों से जाना जाता है। इनको वहां चिकन, मटन और अन्य तरह का मांस भी खाने को दिया जाता है। कुछ देर के लिए बाड़े में भी छोड़ा जाता है, लेकिन फिर पिंजरे में डाल दिया जाता है। इनकी जिंदगी सजायाफ्ता कैदी जैसी ही है।
वन विभाग का तर्क है कि इनमें से कुछ गुलदार के दांत टूटे हैं। कुछ की आंख में चोट है। कुछ के पंजों में चोट है। इस कारण वे अब जंगल में सर्वाइव नहीं कर सकते। कुछ आदमखोर हैं, इसलिये उनको जंगल में फिर से नहीं छोड़ सकते। इसलिए पिंजरे में रखा जाता है।
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