हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति और सरकारी कर्मचारियों के पारिवारिक संपत्ति के खुलासों से जुड़े गंभीर मामलों पर कड़ा रुख अपनाया

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हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति और सरकारी कर्मचारियों के पारिवारिक संपत्ति के खुलासों से जुड़े गंभीर मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि नियमों के तहत संपत्ति की जानकारी छुपाने पर सख्ती से जवाबदेही तय करें। कोर्ट ने मुख्य सचिव और आयकर विभाग को विस्तृत कार्ययोजना के साथ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

मामला जल निगम के कुछ अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच से जुड़ा है। मामले में अनिल चंद्र बलूनी, जाहिद अली ने जनहित याचिकाएं दायर की हैं। जबकि, अखिलेश बहुगुणा और सुजीत कुमार विकास ने आरोपों को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इन चारों मामलों की एक साथ सुनवाई हो रही है।

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आठ दिसंबर को दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली- 2002 का हवाला देते हुए कहा कि ‘परिवार के सदस्य’ में पत्नी, पुत्र, सौतेला पुत्र, अविवाहित पुत्री, सौतेली अविवाहित पुत्री, आश्रित पति/पत्नी एवं रक्त या विवाह संबंध से आश्रित अन्य सदस्य शामिल हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की, कि कई मामलों में सरकारी कर्मचारी यह कहकर परिजनों की संपत्ति का खुलासा नहीं करते कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, जबकि नियम ऐसी छूट नहीं देते। इस आधार पर कोर्ट ने शासन से कहा कि निगम एवं अन्य सेवाओं के नियम भी इन्हीं मानकों के अनुरूप पारदर्शी बनाए जाएं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि परिवार की परिभाषा और संपत्ति खुलासे से जुड़े सभी नियमों को दो सप्ताह के भीतर पूरी तरह स्पष्ट कर गजट में प्रकाशित कराएं। अनुपालन रिपोर्ट 22 दिसंबर को कोर्ट में पेश की जाए। सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में हुए। मुख्य सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति से कोर्ट ने फिलहाल छूट दे दी, लेकिन साफ किया कि अनुपालन न होने पर जवाबदेही तय होगी।

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