7 पीड़ित परिवारों को धोखे में रख सड़क में प्रशासन ने छोड़ दिया
रामगढ़। विधानसभा चुनाव बीत गए। लेकिन पिछले आठ महीनों से रामगढ़ बोहराकोट में आई आपदा से बेघर हुवे सात परिवार आज भी अपने घर मिलने के इंतजार में राह देख रहे हैं। लेकिन प्रशासन जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी साधी है। इससे जिला प्रशासन की आपदा पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता साफ नजर आ रही है। 18 अक्टूबर को रामगढ़ बोहराकोट में हुई त्रासदी कभी भुलाई नही जा सकती। आपदा के पन्नो में इसका इतिहास हमेशा जीवंत रहेगा। 15 से अधिक लोग त्राससी का शिकार हुवे थे। कई लोगो को घर से बेघर होना पड़ा था। कुछ दिन अधिकारियों जनप्रतिनिधियों के दौरों के बाद आपदा पीड़ितों को सरकार बनाने के चक्कर मे सरकार भूल गई। और आपदा में अपने घरों से बेघर हुवे लोग सरकार की मदद की आस में रहे। बोहराकोट में एक ही रात में आपदा ने 7 परिवारों के घरों को अपनी चपेट में लेने के साथ इन्हें बेसहारा कर दिया। बोहराकोट कि नंद किशोर व मुन्नी देवी का परिवार गागर स्थित उद्यान विभाग के सरकारी क्वाटर में परिवार के छः सदस्यों के साथ महीनों से रह रहा है। बोहराकोट उद्यान क्वाटर में बहादुर राम, रमेश चन्द्र, नंदन सिंह कुल 3 परिवारों के 19 लोग यहां रहने को मजबूर हैं। इसके अलावा चन्द्र प्रकाश अपने परिवार के 4 सदस्यों के साथ तल्ला रामगढ में किराए के मकान में रह रहा है। सभी परिवार मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं। सभी पीड़ितों ने बताया कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों ने जल्द मकान बनाने।के लिए जमीन आवंटित करने को कहा गया था लेकिन छः माह बीतने के बाद भी हम बेसहारों की तरह रहने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन जल्द जमीन आवंटित करे नही तो हम परिवार के साथ कुछ भी कर गुजरने को मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशाशन की होगी।
इनकी बात
प्रस्ताव बनाकर पटवारी को रिपोर्ट भेजी गई है। पीड़ितों के लिए जमीन देखी जा रही है। जल्द साशन को प्रस्ताव भेजने के लिए कवायद की जा रही है।
बसंत साह, ग्राम प्रधान बोहराकोट, रामगढ
पीड़ितों को जमीन मिल सके, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री से इस संबंध मव जल्द बात की जाएगी।
राम सिंह कैड़ा, विधायक भीमताल
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