-तीन दिनों से हो रही बारिश ने ग्रामीणों की सांसें रोकी, रात भर जगे रहे लोग
-पिछले साल रामगढ़ झुतिया में मकान में जिंदा दफन हुवे थे 9 मजदूर
-ग्रामीणों ने लोकनिर्माण विभाग पर लगाया लापरवाही का आरोप
-प्रशासन ने पिछली आपदा से नही लिया सबक फिर नदी ने रुख मोड़ा
भवाली। लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश ने रामगढ़ के झुतिया, बोहराकोट ग्रामसभा में ग्रामीणों की सांसें व नींद हराम कर दी है। गाँव के पाँच परिवार घर छोड़ दूसरी जगह रहने को मजबूर हो गए हैं। कई मकानों की बुनियाद की दीवारें दिखने लगी है। कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है। ग्रामीण अभी पिछले साल अक्टूबर में हुई आपदा की तस्वीरों को आखों से ओझल नही कर पाए थे, फिर चार दिनों से लगातार हो रही बारिश आफत बन गई है। बोहराकोट, झुतिया में लोग रात को घरो से बाहर निकल कर अपने मकान को देख रहे हैं। कई मकानों में दरार आ गई है। ग्रामीण देवेंद्र मेर, गोविंद सिंह, किशोर, जसोद मेर, बच्ची सिंह, नारायण दत्त, हरीश कार्की, गोविंद कार्की ने बताया कि नदी ने सेफ्टी वाल तोड़कर रुख घरो में घुसने लगी है। कहा कि नदी के गड्डो को लोकनिर्माण विभाग ने मिट्टी से भरा था। सही टिर्टमेंट होता तो यह हाल नही होता। पिछले साल अक्टूबर की तरह हालात हो गए हैं। रातो की नीद हराम कर डर के साये में जीने को मजबूर हैं। ग्रामीण किशोर बिष्ट, गोविंद दरमवाल, प्रकाश बिष्ट अपना घर छोड़ सुरक्षित जगह चले गए। आपको बता दे पिछले साल 18 व 19 अक्टूबर को 24 घण्टे की मूसलाधार बारिश ने 9 मजदूरों की जिदंगी जान ली थी। क्षेत्र में करीब 14 से 16 लोगो ने अपनी जान गवाई थी। 5 मकान मलवे में दफन हो गए थे। उस वक्त एक साथ 9 मजदूरों की मौत से क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी। लोग कई दिनों तक तक घर व आस पास नदी नालों में शवो को खोजते रहे। उस समय यूपी बिहार के मजदूरो ने सोचा भी नही था कि रात को सोने के बाद वह मकान के मलवे में जिंदा दफन होने वाले हैं। वही हाल इस बार बारिश से होने लगा है। उफनाई नदी अपना विकराल रूप ले रही है। घरो खेतो में पानी घुस गया है। लोगो के माथे में चिन्ता की लकीरें बनने लगी है। गाँवो में पटवारी ग्राम प्रधान लोगों का हाल जानने पहुँच रहे हैं। लेकिन पिछले वर्ष आई आपदा का पूरा मुआवजा लोगो को मिला नही जिससे प्रशासन से लोग कुछ भी उम्मीद लगाना छोड़ चुके हैं।
तीन दिनों से बारिश लेकिन नही है रेस्क्यू टीमें
लगातार तीन दिनों से बारिश ने लोगो की नींद उड़ा दी है। लेकिन प्रशासन की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रो में कोई रेस्क्यू टीमें नही है। पटवारी प्रधान खुद लोगो की सुध ले रहे हैं। पिछले साल रामगढ़ में हादसे के बाद रेस्क्यू टीमों ने ने 7 दिनों तक शवो को ढूढ़ने के लिए सर्च अभियान चलाया था। सिस्टम की लापरवाही बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।
कोट…
नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पाँच परिवारों नको सावधानी के तौर पर शिफ्ट किया गया है। प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है।
बसंत साह, ग्राम प्रधान बोहराकोट
कश्याकुटोली तहसील में एसडीआरएफ की टीम है। फिलहाल पाँच परिवारों को कल पीछे शिफ्ट किया गया था। क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बन्दा बनाने को स्टीमेट साशन में फाइनल हो गया है। एसडीएम ने निरीक्षण किया है। फिलहाल सब ठीक है।
धीराज गर्ब्याल, जिलाधिकारी नैनीताल
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