भवाली की रामलीला ने 80 के दशक में नैनीताल में 3 बार जीती थी प्रतियोगिता, और भी जानें 1930 के दशक में

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-1930 के दौर में विधिवत शुरू हुआ था रामलीला मंचन

भवाली। नगर में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के बावजूद रामलीला मंचन का दौर साल दर साल नया रूप लेता जा रहा है। बड़े बुजुर्गों के साथ युवा वर्ग भी इसमें बढ़चढ़ कर भागीदारी कर रहा है। भवाली की रामलीला इस बार 94 साल में प्रवेश कर गई है। ये वही लीला है जिसे शुरू करने का श्रेय स्व. परमालाल साह को जाता है। जिनके नाम से ट्रस्ट की भी स्थापना की गई है। बुजुर्गों के मुताबिक नगर में रामलीला का मंचन विधिवत वर्ष 1930 के दौर में शुरू हुआ तब यहां स्थित लीसा फैक्ट्री के कर्मचारी इसमें भागीदारी करते थे। लीला का मंचन पंत स्टेट में किया जाता था। परमालाल साह के बाद मंचन के काम को राम दत्त अमीन, हीरालाल साह, प्रेम सिंह और पान सिंह ने आगे बढ़ाया। 1950 से 60 तक मंचन का जिम्मा स्व. प्रेमलाल साह, स्व. बंशीधर कंसल, स्व. पदमा दत्त ने निभाया। 1960 में रामलीला कमेटी की बागडोर हरि दत्त सनवाल के पास आई और वह लगातार डेढ़ दशक तक कमेटी के अध्यक्ष बने रहे।
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष बालम सिंह मेहरा बताते हैं कि 80 के दशक में भवाली की रामलीला ने नैनीताल में होने वाली रामलीला प्रतियोगिता लगातार तीन साल तक जीती। उस दौर में बागडोर सतीश लाल साह, शेखर भगत, प्रकाश बिनवाल, नंदा बल्लभ सुयाल, रविशंकर जोशी व मनोहर मासाब के हाथ में रही।
1990 के दशक में कुछ साल तक रामलीला मंचन नहीं हो सका, लेकिन बाद में रमेश चंद्र बेलवाल के प्रयासों के बाद 2001 में फिर से रामलीला शुरू हुई। 2003 में हरिशंकर कंसल कमेटी के अध्यक्ष बने। जिसके बाद स्व मोहन बिष्ट कमेटी के अध्यक्ष रहे थे। इस वर्ष सर्वसहमति से मुझे अध्यक्ष चुना गया है। कहा कि इस वर्ष 3 अक्टूबर से रामलीला का मंचन रात 8 बजे से शुरू कर दिया जाएगा।

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